जीविका : अध्यापकी, किरानीगीरी, व्यवसाय, खेती-बारी और पत्रकारिता के सामयिक पड़ावों के बाद समाज, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में कई दिशाखोजी गतिविधियों से गुजरते हुए संप्रति सृजन और विचार की शब्द-यात्रा।
प्रकाशित कृतियां : सिर्फ सोलह सफे, अतिपूर्वा, सीढ़ियों पर धूप, ईंधन चुनते हुए, आग के आस-पास, ईंधन और आग के बीच, बीस सुरों की सदी,पठार को सुनो (कविता संग्रह)। मन एक जंगल है, लब पर लय की लौ (गीत संग्रह)। कोरस, कोरस वाली गली, नायाब नर्सरी (कहानी संग्रह)। आईने में लोग (नाटक)। वनस्थली के कथापुरुष, बीसवीं सदी का उत्तरार्ध (शोध-आलोचना)। झारखंड : समाज, संस्कृति और विकास (समाज दर्शन)।
संपादन : कविताएं सातवें दशक की, प्रपंच, घर की तलाश में यात्रा, महासर्ग, धूमकेतुओं की जन्मपत्री, तीसरी आंख, हारे को हरनाम, काश! यह कहानी होती, एक थी सुभागी (पुस्तकें)। क्रमशः, अभिज्ञान, वर्तमान संदर्भ, प्रसंग, कथादेश का किट्टू केंद्रित अंक (पत्रिकाएं)। लगभग दर्जन भर पुस्तकों का अनाम संपादन। कई रचनाएं गुजराती, तेलगू, नागपुरी और कुडुख़ में अनूदित।
संपर्क : प्रतिमान प्रकाशन,शिवशक्ति लेन, किशोर गंज, हरमू पथ, रांची- 834001
1 comment:
तो भी मोतियाबिंद के शर्तिया इलाज़ का दावा नहीं उसका
क्या बात है, भाव और अभीव्यक्ति, प्रभावशाली हैं, पार्श्वध्वनि मनोरम
बहुt ही अच्छा लगा
http://swapnamanjusha.blogspot.com/
सविनय
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