सात सुरों की धुन पढ़ें अपनी लिपि में, SAAT SURON KI DHU Read in your own script,

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Tuesday, July 14, 2009

शब्‍द

शब्‍द
कभी खाली हाथ नहीं लौटाते।
तुम कहो प्‍यार‍
और एक तरल रेशमी स्‍पर्श
तुम्‍हें छूने लगेगा।
तुम कहो करुणा
और एक अदेखी छतरी
तुम्‍हारे संतापों पर
छतनार दरख्‍त बन तन जायेगी।
तुम कहो चन्‍द्रमा
और एक दूधपगी रोटी
तुम्‍हें परोसी ‍मि‍लेगी।
तुम कहो सूरज
और एक भरापुरा कार्य ‍दि‍वस
तुम्‍हें सुलभ होगा।
शब्‍द
‍कि‍सी की फ‍‍रि‍याद
अनसुनी नहीं करते।
गहरी से गहरी घाटि‍यों में
आवाज दो,
तुम्‍हारे शब्‍द तुम्‍हारे पास
फि‍र लौट आयेंगे,
लौट-लौट आयेंगे।

5 comments:

संगीता पुरी said...

गहरी से गहरी घाटि‍यों में
आवाज दो,
तुम्‍हारे शब्‍द तुम्‍हारे पास
फि‍र लौट आयेंगे,
लौट-लौट आयेंगे।
बहुत सही .. सुंदर रचना !!

Udan Tashtari said...

शब्‍द
‍कि‍सी की फ‍‍रि‍याद
अनसुनी नहीं करते।

-बिल्कुल सही..आभार इस बेहतरीन रचना के लिए.

mehek said...

गहरी से गहरी घाटि‍यों में
आवाज दो,
तुम्‍हारे शब्‍द तुम्‍हारे पास
फि‍र लौट आयेंगे,
लौट-लौट आयेंगे।
bahut badhiya

M VERMA said...

बेहतरीन रचना

रंजना said...

बिलकुल सही कहा.......शब्द सही में कभी खाली हाथ नहीं लौटाते....

अद्वितीय रचना.....मन मुग्ध कर लिया इसने.....वाह !!!!